देश के किन राज्यों में कितने सेंटीमीटर तक बारिश करता है मानसून जानें कैसे आता है मानसून और कैसे दक्
- UP NO1 VOICE NEWS
- 21 अग॰ 2020
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देश के किन राज्यों में कितने सेंटीमीटर तक बारिश करता है मानसून जानें कैसे आता है मानसून और कैसे दक्षिण से उत्तर तक पूरे देश में करता है झमाझम बारिश?

भारत में मानसून (Mansoon) जून से शुरू होकर सितंबर तक चार महीने सक्रिय रहता है. भारत (India) में 127 कृषि जलवायु सब-जोन हैं. वहीं, कुल 36 जोन हैं. आइए जानते हैं कि कैसे समुद्र से चला मानसून पूरे भारत में जमकर बारिश करता है...
भारत में मानसून (Mansoon) दस्तक दे चुका है. हर साल मानसून जून से सितंबर के बीच केरल (Kerala) से शुरू होता है. इससे पहले प्री-मानसून (Pre-Monsoon) बारिश होती है. इस साल पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में बारिश शुरू हो गई है. अंग्रेजी शब्द मानसून पुर्तगाली शब्द मान्सैओ (Moncao) से बना है. मूलरूप से ये शब्द अरबी शब्द मावसिम (मौसम) से आया है. यह शब्द हिंदी, उर्दू और उत्तर भारतीय भाषाओं में भी इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी एक कड़ी शुरुआती आधुनिक डच शब्द मॉनसन से भी मिलती है. भारत में मानसून जून से शुरू होकर सितंबर तक चार महीने सक्रिय रहता है. मौसम विभाग (Meteorological Department) कई पैमानों का इस्तेमाल कर इन चार महीनों के दौरान होने वाली मानसून की बारिश की मात्रा को लेकर भविष्यवाणी करता है. बता दें कि भारत में 127 कृषि जलवायु सब-जोन हैं. वहीं, कुल 36 जोन हैं. समुद्र, हिमालय और रेगिस्तान मानसून को प्रभावित करते हैं. इसलिए मौसम विभाग 100 फीसदी सही अनुमान लगाने में चूक जाता है. कैसे और कहां बनता है मानसून, कैसे होती है पूरे देश में खूब बारिश गर्मी के मौसम में जब हिंद महासागर में सूर्य विषुवत रेखा (Equator) के ठीक ऊपर होता है तो मानसून बनता है. इस प्रक्रिया में गर्म होकर समुद्र का तापमान 30 डिग्री तक पहुंच जाता है. उस दौरान धरती का तापमान 45-46 डिग्री तक पहुंच चुका होता है. ऐसी स्थिति में हिंद महासागर के दक्षिणी हिस्से में मानसूनी हवाएं सक्रिय हो जाती हैं. ये हवाएं आपस में क्रॉस करते हुए विषुवत रेखा पार कर एशिया की तरफ बढ़ने लगती हैं. इसी दौरान समुद्र के ऊपर बादलों के बनने की प्रक्रिया शुरू होती है. विषुवत रेखा पार करके हवाएं और बादल बारिश करते हुए बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का रुख करते हैं. इस दौरान देश के तमाम हिस्सों का तापमान समुद्र तल के तापमान से अधिक होता है. ऐसी स्थिति में हवाएं समुद्र से जमीनी हिस्सों की ओर बहने लगती हैं. ये हवाएं समुद्र के जल के वाष्पन से पैदा होने वाली वाष्प को सोख लेती हैं और धरती पर आते ही ऊपर उठती हैं और बारिश करती हैं.

बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में पहुंचने के बाद समुद्र से उठी मानसूनी हवाएं दो शाखाओं में बंट जाती हैं. एक शाखा अरब सागर की तरफ से मुंबई, गुजरात राजस्थान होते हुए आगे बढ़ती है तो दूसरी शाखा बंगाल की खाड़ी से पश्चिम बंगाल, बिहार, पूर्वोत्तर होते हुए हिमालय से टकराकर गंगीय क्षेत्रों की ओर मुड़ जाती हैं. इस तरह से जुलाई के पहले सप्ताह तक पूरे देश में झमाझम बारिश होने लगती है. मानसून मई के दूसरे सप्ताह में बंगाल की खाड़ी में अंडमान निकोबार द्वीप समूहों में दस्तक देता है और 1 जून को केरल में पहुंच जाता है. मौसम विज्ञानियों का कहना है कि अगर हिमालय पर्वत नहीं होता तो उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में मानसून की बारिश होती ही नहीं. मानसूनी हवाएं बंगाल की खाड़ी से आगे बढ़ती हैं और हिमालय से टकराकर वापस लौटते हुए उत्तर भारत के मैदानी इलाकों पर बरसती हैं. भारत में मानसून राजस्थान में मामूली बारिश करने के बाद खत्म हो जाता है.
देश के किन राज्यों में कितने सेंटीमीटर तक बारिश करता है मानसून देश में मानसून के चार महीनों में औसतन 89 सेंटीमीटर बारिश होती है. देश की 65 फीसदी खेती मानसूनी पर निर्भर है. बिजली उत्पादन, नदियों का पानी भी मानसून पर निर्भर है. पश्चिम तट और पूर्वोत्तर के राज्यों में 200 से एक हजार सेमी बारिश होती है, जबकि राजस्थान और तमिलनाडु के कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां मानसूनी बारिश सिर्फ 10-15 सेमी बारिश होती है. चेरापूंजी में सालभर में करीब 1,100 सेमी तक बारिश होती है. केरल में मानसून जून के शुरू में दस्तक देता है और अक्टूबर तक करीब पांच महीने रहता है, जबकि राजस्थान में सिर्फ डेढ़ महीने ही मानसूनी बारिश होती है. यहीं से मानसून की विदाई होती है. हिंद महासागर और अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाएं भारत के साथ ही पाकिस्तान, बांग्लादेश में भी भारी बारिश कराती हैं. वैसे किसी भी क्षेत्र का मानसून उसकी जलवायु पर निर्भर करता है. अमूमन मानसून के दौरान तापमान में तो कमी आती है, लेकिन नमी में वृद्धि होती है.

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