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कहानी ऐसे गैंगस्टर की जो 20 साल की उम्र में ही बन गया था डॉन, जुर्म के लिए निकालता था विज्ञापन

दुर्लभ कश्यप मात्र 20 साल की उम्र में अपराध की दुनिया का बड़ा चेहरा बन गया था। इन सालों में उसके कई दुश्मन बने जिन्होंने उसे मौत के मुंह में धकेला। आज दुर्लभ भले ही जीवित न हो लेकिन उसके नाम पर उज्जैन में कई गैंग सक्रिय हैं। आज बात मध्य प्रदेश के उज्जैन के गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप की जिसने मात्र 20 साल की उम्र में ही अपना खौफ लोगों के मन में बैठा दिया था। जिस उम्र में युवक अपने भविष्य की चिंताओं में उलझे रहते हैं, उतनी उम्र में दुर्लभ के ऊपर आधा दर्जन से अधिक आपराधिक मुकदमें दर्ज थे। हालांकि, अब दुर्लभ कश्यप जैसा गैंगस्टर इस दुनिया में नहीं है पर उसके नाम पर अब भी कई गैंग सक्रिय हैं। मध्य प्रदेश के उज्जैन में साल 2000 में जन्मा दुर्लभ कश्यप एक कारोबारी पिता और शिक्षिका मां की संतान था। दुर्लभ के पिता पहले मुंबई में व्यापार करते थे लेकिन बाद में वह इंदौर आ गए। जब दुर्लभ थोड़ा बड़ा हुआ तो उसने काम भी बड़े अजीब तरीके से शुरू किए। जैसे कि उसने अपनी फेसबुक की प्रोफाइल पर लिख रखा था कि- “किसी भी तरह के विवाद निपटारे के लिए संपर्क करें”। सोशल मीडिया पर खासा सक्रिय रहने वाला दुर्लभ कश्यप अपना व गैंग के प्रचार के लिए फेसबुक को सहारा बनाता था। वह यहीं पर लोगों को धमकी देता और गैंग का बखान करता। दुर्लभ की उम्र कम ही थी लेकिन काम ऐसे ही आड़े-टेढ़े थे। फेसबुक के जरिए ही रंगदारी और सुपारी लेना उसका शगल बन गया था। इसके अलावा उसकी गैंग में अधिकतर नाबालिग लड़के ही शामिल थे। दुर्लभ कश्यप सोशल मीडिया के जरिए धमकी देने के अलावा अपनी ड्रेसिंग के कारण भी चर्चा में रहता था। आंखों में काला सूरमा, माथे पर लंबा तिलक और कंधे पर गमछा उसकी और गैंग की पहचान बन चुकी थी। अक्सर हथियारों व गैंग के साथ सोशल मीडिया पर फोटो डालने के लिए मशहूर दुर्लभ की गैंग में अधिकतर उसी से प्रभावित करीब 100 किशोर थे। कारनामों के चलते लोग उसे उज्जैन का डॉन भी कहने लगे थे। दुर्लभ कश्यप अपनी गैंग के सहारे इलाके में रंगदारी हफ्ता वसूली और लूट जैसी वारदातों को अंजाम देता था। 18 साल की उम्र में ही दुर्लभ और उसकी गैंग खौफ का दूसरा नाम बन चुकी थी और उस पर करीब 9 मुकदमें दर्ज थे। दुर्लभ कश्यप गैंग के सभी बदमाश एक ही तरह की ड्रेस पहनते थे, जैसा दुर्लभ का पहनावा था। इसके अलावा दुर्लभ ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर खुद को कुख्यात बदमाश, हत्यारा और नामी अपराधी लिख रखा था। साथ ही विज्ञापन की शक्ल में अक्सर लिखता था कि किसी भी तरह के विवाद निपटारे के लिए संपर्क करें। 16 साल की उम्र में जुर्म की दुनिया में उतरा दुर्लभ दो सालों में आतंक का पर्याय बन गया। हालांकि, साल 2018 में पुलिस प्रशासन ने कई प्रयासों के बाद दुर्लभ व उसकी गैंग का पर्दाफाश कर दिया था। पुलिस कार्रवाई के बाद दुर्लभ कश्यप को जेल भेज दिया गया लेकिन उसके नाम पर गैंग चलता रहा। साल 2020 में कोरोना के दौर में सभी कैदियों की तरह उसे भी रिहा किया गया। 6 सितंबर 2020 में वह रात को घर से बाहर निकला तो रास्ते में चाय की दुकान पर दूसरी गैंग से गैंगवार हो गई। जिसमें शाहनवाज और शादाब नाम के दो बदमाशों ने दुर्लभ को चाकुओं से गोदकर मौत के घाट उतार दिया। उस पर 30 से ज्यादा बार चाकू से हमला किया गया था।

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